Ramesh prajapat 14 Jan 2025 कविताएँ धार्मिक धार्मिक पाखंड 7521 2 5 Hindi :: हिंदी
मैं उस राह को छोड़ आया जिसमें पैसा चोरी से भी कमाया जा सकता , धन के मोह मे घमंड भी आता, लेकिन वषाॆ बीत गए पाचं रूपये कमाने को, जब लगा ताप हाथों का, मैं उस राह को छोड़ आया | मैं उस राह पर चल पड़ा, जिसमें धर्म से भी पैसा कमाया जा सकता , पाखंड अपनाकर भी साधु बन जाता, भक्तों के साथ ऐसा , खिलवाड़ देखकर, इंसान का इंसान से भरोसा मिट जाता है, तो मैं उस राह को छोड़ आया | लूट मची है बजारो में, सस्ती तो मिट्टी भी नहीं रही गरीब के तो फुल भी नहीं बिकते, अमीर तो पत्थर से भी पैसा कमाता है, तो मैं उस राह को छोड़ आया |
4 weeks ago