Pragati Rai 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक नारी 72601 0 Hindi :: हिंदी
मैं एक नारी हूँ, जिसे लक्ष्मी बाई की हिम्मत समझा जाता है। हाँ मैं वही नारी हूँ, जिसे अबला समझकर रोका जाता है।। मैं एक नारी हूँ, जिसे दुर्गा रणचण्डी समझा जाता है। हाँ मैं वही नारी हूँ, जिसे निर्भया समझकर सताया जाता है।। मैं एक नारी हूँ, जिसे नौरात्रि में चुनरी उढ़ाया जाता है। हाँ मैं वही नारी हूँ, जिस पाँच साल की देवी को हवस का शिकार बनाया जाता है।। मै एक नारी हूँ, जिसे राधा मीरा की भक्ति कहा जाता है। हाँ मैं वही नारी हूँ, जिसे तीन तलाक़ वाली ग़लती समझा जाता है।। मैं एक नारी हूँ, जिसे अंशुईया सीता माता कहा जाता है। और दूसरों के झगड़े में मेरी गाली देकर, माँ शब्द को अपमानित किया जाता है।। मैं एक नारी हूँ, जिसे पापा की परी बोला जाता है। और मेरे ही पँखों को नोंचकर, मुझे चार दीवारों में रखा जाता है।। हमारे ही वजूद से, ये समाज बढ़ता है। हमारे ही वजूद से, दो- दो कूल चलता है।। हमारे जीवित होने से, घर मे वैभव होता है। हमारे जीवित होने से, रक्षाबंधन होता है।। नाम - प्रगति राय ग्राम - रईसा पोस्ट - कसारा जिला - मऊ (उत्तर प्रदेश)