Ujjwal Kumar 14 Jan 2025 कविताएँ अन्य "मकर संक्रांति की पावन बेला" 3724 0 Hindi :: हिंदी
मकर संक्रांति का पर्व सुहाना आया, खुशियों का सूरज नया रंग लाया। धूप की किरणों ने दिल को छुआ, सर्दी की शीतलता अब दूर हुई हटा। मकर संक्रांति की पावन बेला आई, सपनों के नये पंखों को सवारी। किसानों के खेतों में हरियाली छाई, नई उम्मीदों से आकाश फिर से सजाई। तिल-गुड़ की मिठास दिलों में समाई, सपनों की पतंगे फिर से उड़ाई। आशाओं के रंग आसमान में फैले, उल्लास से हर दिल में मिठास पले। मकर संक्रांति की पावन बेला आई, आशीर्वाद की बौछार फिर से लाई। संगम की ओर हम बढ़े कदम, सुख-समृद्धि की राह हो सबका शुभगमन। ✍️रचनाकार- उज्ज्वल कुमार श्रीवास्तव