Sadhana devi 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य मस्त हवा या झोका 91039 2 4.5 Hindi :: हिंदी
हवा हूं हवा हू ठंडी हवा हूं बडी मस्त मौला बडी बावली हूं जिधर चाहती हूं उधर घूमती हूं कभी आसमांँ कभी जमी चारों तरफ मैं ही बसी । वेग अपना मैं तेज करूँ हर वस्तु को मैं फैंलाऊ पुर्व से पश्चिमी से उत्तर से दक्षिळ मैं जाऊँ हर पल साँसों को मैं बचा ऊँ मेरे बिन कोई जी ना पाएँ सब की जान मुझे मैं समाएँ खुदा का वरदान हूँ पुरे संसार की मैं जान हूं जीवन मेरे बिन नाश हैं यही ईश वर का वरदान हैं हवा हूँ हवा हूँबसन्ती हवा हूँ
I ,m sadhana Devi My fathers names sheshnaryan Pg class es Rajri tantan university pryagraj (...