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नया साल-किस बात का नया साल

ROHIT YADAV 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक Rohit yadv shyar 9452 0 Hindi :: हिंदी

किस बात का नया साल मना लूं 
क्या छोड़ो  बुझते दीपकओ को और नया दीप जला लूं
मुझे तो इस धरती अंबर जलवायु में कोई फर्क नहीं दिखता 
दिखता तो मैं भी जश्न बना लेता 
छोड़ता पूछते दीपकओ को और नया दीप जला लेता  ll
क्या सीखा तुमने !
आजादी से भी कुछ सीख नहीं पाए 
महाभारत जैसे ग्रंथों में भी कुछ सीख नहीं पाए 
हो खड़े आज तुम अंधी गहरी खाई में
जहां सूर्य का प्रकाश नहीं चंद्रमा की चांदनी रात नहीं
और स्वच्छ पावन जैसा सर पर आकाश नहीं ll

 किस बात का है यह धर्म विवाद 
 आज सुने अटल  संसार मुस्लिम नवाज पढ़ मत्था टेक ए इस धरती पर जितनी बार 
 वह हर बार कर रहा मातृभूमि को प्रणाम 
 सब लोग कर रहे हो इस प्रकृति को प्रणाम 
 तो किस बात पर विवाद !!ll
  दुर्योधन ने भी एक स्त्री का मान भंग किया था 
  रावण ने भी एक स्त्री का मान भंग किया था
  अकबर ने भी एक  स्त्री का मान भंग किया था
  अंजाम क्या बताऊं तुमको पढ़ लेना इतिहास उठाकर
   यदि पढ़ हो तो क्यों गलती दोहराते हो
   इस देश को गलत दिशा में ले जाते हो ll
कवि हूं कविता का व्यापार नहीं करता सच को सच लिखता हूं झूठ की निंदा करता हूं खत्म हो रहे घरों में उन संस्कारों को अपनी कलम से जिंदा करता हूं ll
              ---धन्यवाद     
----रोहित यादव

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