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प्राण "आत्मा"

Alok Vaid 30 Mar 2023 कविताएँ धार्मिक #कविता #हिंदी_साहित्य #बाल_साहित्य #प्यार #मोहब्बत 16182 0 Hindi :: हिंदी

प्राण बनो या पंछी साथी एक दिन तोड़ जाना है रूप बनो या यौवन साथी रज कण में मिल जाना है
तू क्या रे अभिमान करें इस तन का जो ना रहना पाएगा
धरती का यह मितवा साथी धरती में मिल जाएगा
अब तो यूं जाने के बाद लक चौरासी में आना है
अब दीपक की ज्योति को सदियों यहां बिताना है
प्राण बनो या पंछी साथी एक दिन तो उड़ जाना है रूप बनो या यौवन साथी रज कण में मिल जाना है

✍️ आलोक वैद "आजाद"
      एक छोटा सा लेखक 🙏

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