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पुस्तक पर कविता-गिरने मत दो झुकने मत दो गिरे अगर तो उसे उठा लो

Rambriksh Bahadurpuri 06 Aug 2023 कविताएँ समाजिक #Rambriksh Bahadurpuri #Rambriksh Bahadurpuri Kavita #Rambriksh Bahadurpuri Ambedkar Nagar #Kavi Rambriksh Bahadurpuri #Ambedkar Nagar poetry #Pustak per kavita 7644 0 Hindi :: हिंदी

पुस्तक 
 


गिरने मत दो
    झुकने मत दो 
         गिरे अगर तो
               उसे उठा लो,

मुड़ने मत दो
    फटने मत दो 
        मुड़े अगर तो
             उसे सधा लो,

भीग भीग कर
     गल न जाए
         जल वर्षा से
              उसे बचा लो,

कट ना जाए
     फट ना जाए
         जोड़ जोड़ कर
              उसे सजा लो,

यही भूत है
    यह भविष्य है
            वर्तमान भी
                  इसे बना लो ,

शब्द रूप में
     भाव छिपे हैं
          अंतर्मन में
                इसे बसा लो,


अक्षर अक्षर
     सुधा बूंद है
         पीकर इसको
              प्यास बुझा लो,

पन्ना पन्ना
    ज्ञान भरा है
        अगर सको तो
            यह अपना लो,
 
पंक्ति पंक्ति है 
    जीवन रेखा
          इस जीवन का
               खूब मजा लो,

सात स्वरों का
     सरगम इसमें
          मिल संगत में
              इसे बजा लो,


साथी संगी
    मित्र यही है
        इसे प्यार से
            गले लगा लो,

जीना हमको
    यही सिखाते
        इसे प्रेम से
             शीश झुका लो,


कवि की सुन लो
    मन में गुन लो
        एक एक को
              इसे बता दो। 


         रचनाकार 
    रामबृक्ष बहादुरपुरी 
अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश 
       9721244478

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