DINESH KUMAR KEER 30 May 2023 कविताएँ समाजिक 4626 0 Hindi :: हिंदी
किसी घर के लिए रिश्तों का ये गहना नहीं होतों .. बहुत कुछ एक दुजे के लिए सहना नहीं होतों .. किसी घर के लिए रिश्तों का ये गहना नहीं होतों .. बहुत कुछ एक दुजे के लिए सहना नहीं होतों .. भला त्योहार राखी का मनेगा किस तरह सोचो... कहीं भाई नहीं हो तो कही बहना नहीं होतों .. भला त्योहार राखी का मनेगा किस तरह सोचो... कहीं भाई नहीं हो तो कही बहना नहीं होतों ..