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"रातों से लड रहा हूँ-दिन खोज रहा हूँ"

Shreyansh kumar jain 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 50000 32100 0 Hindi :: हिंदी

रात की चांदनी से में लड रहा हूँ, 
दुनिया सारी सो रही है मै जग रहा हूँ, 
रात की सर्द हवा मेरा ध्यान रखती है,
चांद की रोशनी जब मुझसे आकर मिलती है ।।
दुनिया का सारा काम रूक सा गया है,
रात भर जग-जग कर मुझे सुबह का भोजन मिला है,
रात को में तो तारों से बात करता हूँ, 
किस्मत कुछ अपनी में यूँह पाता हूँ ।।
आज रात है कल सवेरा भी आयेगा,
आज इम्तिहान है कल परिणाम भी आयेगा, 
मेरे इन सब दुखों का यह बादल भी छट जाऐगा,
आज किस्मत में रात है तो कल सवेरा भी निकल आयेगा।।
रात की यह रोशनी एक दिन जगमगाऐगी,
खुशियों की रोशनी जब तेरा घर बनाऐगी,
यह जीवन का संघर्ष है इसे मत हार जाना,
अपने से वादा करके एक दिन जीत जाना ।।
                                                       श्रैयांश जैन 

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