SHUBHAM PATHAK 10 Mar 2025 कविताएँ समाजिक 4147 0 Hindi :: हिंदी
रखना भरोसा खुद पर मन को घबराने ना देना कई अटकले आएँगी पर चिन्ता की लकीर दिखने ना देना . बहुत मिलेंगे ऊँगली उठाने वाले तुम होसलो को डगमगाने ना देना मुश्किलें तो उन्हें भी कई आयी थी लेकिन आतंरिक्ष में पहला कदम बहन कल्पना ने हि जमाया था ना हाँ वक्त लगता है अक्सर हि ऊँचे मुकाम पाने में अपने हौसलो की बुलंदियों को झुकने ना देना तुम माँ, बहन, बेटी हो तुम दुनिया को चलाने की शिक्षा भी देती हो तुम घर की बिटिया से लेकर राष्ट्र सँभालने की क्षमता भी रखती हो रखना नजर अपनी मंजिल पर मन को कही भटकने ना देना सफलताओं की चोटी पर जा कर संघर्षो की बुनियाद टपकने देना रखना भरोसा खुद पर मन को घबराने ना देना ✍️✍️ शुभम पाठक ✍️✍️