Rakhi sharan 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक रंक को राजा 29781 0 Hindi :: हिंदी
दिल के झरोखे में एक ख्वाब सजा रखा था, खिल उठे चेहरे पे एक नूर सजा रखा था, समानों के झुरमुट में रंक को राजा बना रखा था, मनचाही मुरादों में नए पंख लगा रखा था, मिल के जादुई दुनिया से होंठों को हंसा रखा था। राखी शरण