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सबकी प्रिय

Bholenath sharma 07 Apr 2024 कविताएँ समाजिक सबकी प्रिय 1544 0 Hindi :: हिंदी

जूझ रहे जो गम से अपने                        वो तेरी शरण में आते है मधुशाला              कष्ट मिटा देती हो तुम जिनका
उनके उर बस्ती हो तुम मधुशाला ।             
                                                     गली - गली में धाम बसा है तेरा , मधुशाला   बहुत अधिक है चाहने वाले , तुझको हाला

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