Shreyansh kumar jain 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 49674 0 Hindi :: हिंदी
अपने दिल की सारी व्यथा एक कागज पर लिख डालो, लिखकर फिर उस कागज को दिल से पढकर जला डालो, अपनी सारे मन की जिज्ञासा को एक खोने में दफना डालो, शांति तुम्हारे कदम चूमेगी अपने लक्ष्य का फोटो मन में लगा डालो। औकात नहीं कुछ भी हमारी ऐसे ख्यालों को आने दो, अभी तो है साधारण हम कुछ समय के लिए महफूज हमे हो जाने दो, मन को यह सारा पाठ पढ़ाकर अपने लक्ष्य को मन में सजा ने दो, शांति तुम्हारे कदम चूमेगी दूनिया को समझने का मन को यह नजरिया बदलने दो, मन को करके वश में अपने चकाचौंध से रिश्ता नहीं निभाना है, अपने ही चाहत से अब नहीं ज्यादा तुम्हें रूख मिलाना है, अंशाति, कोर्ध, ओर घमंड का इस जीवन से हमें नामो-निशान मिटाना है, शांति तुम्हारे कदम चूमेगी बस मन को अपने वश में करके इतना सा समझाना है।