Shreyansh kumar jain 08 Aug 2024 कविताएँ राजनितिक 5000000 4954 1 5 Hindi :: हिंदी
प्यारा देश बनाया जिसने, पल भर में यूहँ छूट गया, आंखों के सपनों का मंजर, पलक झपकते टूट गया, हिफाज़त की थी जिसने देश की, उसका पल भर में देश से रिश्ता छूट गया, सपनों का आज एक किला, दुश्मनी के पलते टूट गया ।। अपनों ने ही किया है धोखा, अपनों ने ही खंजर घोंप दिया, मोतियों के सपनों से बुनी थी जो माला, उसका एक-एक मोती करके थोड दिया, हिफाज़त की थी जिसने देश की, उसका पल भर में देश छूट गया ।। पडोसी होने का धर्म निभाया हमने, वसुधैव कुटुंबकम् का नारा बुलंद किया, पुरे विश्व ने नकारा जिसको शरण देने से, हमने मानवता का झंडा बुलंद किया, हिफाज़त की थी जिसने देश की, उसका पल भर में देश से रिश्ता छूट गया ।। विनती है मेरी उस टूटे हुए देश से, किसी धर्म पर ना वार करो, तख्तापलट तो कर दिया तुमने, वहाँ की धर्म विशेष जनता पर ना वार करो, मानवता का संदेशा देकर नये मुल्क का निर्माण करो ।। श्रैयांश जैन (8442047972)
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