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तेरी बेरुमहाई

AJAY KUMAR JOSHI 13 Feb 2025 कविताएँ प्यार-महोब्बत प्यार, महोब्बत, ईश्क, अध्यात्म 3427 0 Hindi :: हिंदी

तेरी बेरुमहाई ने बक्शा मुझे , इस्तकाब कबूल कर।
काबिज न थी तू इतनी भी  की ,अपना लेता इतनी बड़ी भूल कर।।
शायद किसी दूसरे के कर्म फूटने को हे।
तेरी फ़ितरत दिल जीत कर सब लूटने को हे।।
जाती हुई मंजिलो पर अब ध्यान रखना ।
सच्चे और झुंटो की पहचान रखना।।
ईमानो से मिलितो वो मेरी तरह पहचान जायेंगे।
बेइमनो से मिली तो वो तुझे छान जायेंगे।।
अब बता जालिम बेरुमहाई की मूरत ।
किसको दिखाएगी तू अपनी सूरत।।
हैरान हे ना तू ये जान कर..
पलट जाती दुनिया
हिलता न ईमान पर ।
फिर क्यों गलत रास्तो पर चलती हो
उठती हो गिरती हो फिर फिसलती हो।
ग़ालिब की पंक्ति कुरान इबारत पड कर तो देख।
अपने दिलो में सच्चा प्यार ईमान भरकर तो देख।।
सूरते- नज़ारे बदलने लगेंगे..
जख्मी दिलो में भी प्यार पलने लगेंगे..
रोवोगी तुम भी जब भाव निकलने लगेंगे..
बस एक के ही होजाने के
इरादे नैक ..निकलने लगेंगे....
कहता अजय अब तो नैक बनो
मन की नहीं बस दिल की सुनो
बेरूखी बैमानी ,बेरुमहाई तकरारें बीमारी है
लड़ने को इनसे मेरी सत्ये की खोज जारी है
Ajay Always: सत्य की खोज में

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