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तुम उम्मीदों का पिटारा हो

RAJAT ROHIT RAJPUT 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 21486 0 Hindi :: हिंदी

मत उदास करो अंतर्मन को , किसी दूजे की न तुम छाया हो
खुद जलकर निज तप से चमके, वो आसमान का तारा हो
क्यों राह पूछना गैरों से निज पथ पर चलती जलधारा हो
जीवन पथ का साथी कोई और नहीं, तुम खुद उम्मीदों का पिटारा हो

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