Bholenath sharma 26 Feb 2024 कविताएँ समाजिक याद आता है 15669 0 Hindi :: हिंदी
याद आता है , बचपन के बीते दिन याद आता है , गांवो में बीते दिन याद आता है , यारो के संग बीते दिन याद आता है , अकेले रह नहीं पाते उनके बिन । याद आती है , बीते हर पल कहानी । याद आती है , दादा - दादी के किस्से कहानी । बंध गये है पांव अब ,जिम्मेदारी के जंजीरो में । तब पता चला , इसलिए पापा रहते इच्छा रहित त्योहारों में । हम कहते थे , वो आपका जमाना गया पापा। इस जमाने में लोगों की चप्पल है हजारो में । मिलते है दिहाड़ी के चार सौ ,पाँच सौं रुपये । तब कीमत समझ में आई जब पूरा दिन झुलसा ताप में । बहुत मुशकिल है पैसे कमाना मेहनत सें किस मिट्टी के बने थे , वो जो रह लेते थे इतने ताप मैं ।