Shiv Kishore 15 Aug 2023 शायरी समाजिक ज़माना, नई पीढ़ी ,मंजर 7152 0 Hindi :: हिंदी
जो गुजर गया ज़माना उसे सामने न लाइए , नई पीढ़ी को पुरानी तस्वीर न दिखाइए , हम आपने नहीं देखा हमारे बुजुर्गों ने देखा मंज़र _ सोच बदलिए मानसिकता को मजबूत बनाइए । _ शिव किशोर,शाहजहांपुर ,यूपी