धर्मपाल सावनेर 26 Sep 2023 शायरी समाजिक #Dharam singh# bohot #khubsurat# shayri# 25304 0 Hindi :: हिंदी
घरों मे नही दफ्तरों में नही सुकु अकेलेपन मे है लश्करो में नही ।। खुद में तू झांक खुद में तलाश खुद में खुदा तू पाएगा पत्थरों मे नहि ।। Dharam singh rajput 8109708044