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तन्हाइयों की गजलो को गुनगुनाते रहो एक दिन इन्ही को गाओगे शाम कभी देर तक फिजाओं में घूमते रहो एक दिन इन्ही वादियों के होकर रह जाओगे read more >>
इतना ना सताया कर ए जिंदगी हमें ना रूलाया कर मेरे आंसु मुझे खुद ही पोंछना पड़ता है कभी तो तु मेरे आंसु पोंछने आया कर तेरे मेरी क्या दुश read more >>
कर कबुल दुआं तेरे शहर आईं हूं खोल नयन मां अब मयईहर आई हूं हाथ में पुजा के थाली लोटिया में जल भर लाईं हूं बोल न अम्बे। अब मयईहर आई हूं read more >>
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