Prashant Kumar 09 Apr 2023 ग़ज़ल अन्य 7203 0 Hindi :: हिंदी
इन मयकदों काअबकी सारा हिसाब कर दे मेरे लहू की बूंदों को ही शराब कर दे। जालिम न चल कमर को अपनी दिखादिखा के ऐसा न हो ये मेरी नीयत खराब कर दे। ये हाल हो गया है उससे बिछड़ के मेरा बोला मरीज उसे कल मेरा इलाज कर दे। खंजर तो तेरे हाथों में फूल का शजर है इससे भी हटके हो कुछ तो लाजवाब कर दे। कैसे उफुक पे सब उंगलियां उठा रहे हैं किसने कहा था मुझको कि आफ्ताव कर दे। हमको तो जख्म का तेरे शौक हो गया है उफ ना करेंगे खंजर तू बेहिसाब कर दे। प्रशांत कुमार