Prashant Kumar 12 Apr 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत Best gazal 7134 0 Hindi :: हिंदी
क्या तेरी मुहब्बत के मुकाबिल नही हूं मैं क्यों आज तिरी वज्म मे शामिल नही हूं मैं। वो ख्वाब तुझे चैन से जीने नही देगा जिस ख्वाब में तेरे कभी शामिल नहीं हूं मैं। क्या दिल की रजा है मुझे जल्दी से बता दे कि किसी को शहर मे तिरे हासिल नही हूं मैं। लिख लिख के किताबो पे मिटाया गया मुझको इक हर्फ मे तक इश्क के शामिल नहीं हूं मैं। आना भी इधर से तिरा जाना भी इधर से हर बार जो देखूं तुझे पागल नहीं हूं मैं प्रशांत कुमार