Girjesh Choudhary 30 Mar 2023 ग़ज़ल समाजिक Shayri,gazal,shandar shayri,Prem, kavita 82557 0 Hindi :: हिंदी
जबसे सुलझे उनसे हम और उलझन हो गयी जैसा वो वैसा जहां मेरा वो मौसम हो गयी एक गिलहरी थी फ़कत मेरा वो आंगन हो गयी उनसे अनबन क्या हुई खुद से अनबन हो गयी
I am a screenplay writer. Guest faculty of CRAFT film school delhi....