संदीप कुमार सिंह 23 Sep 2023 कहानियाँ समाजिक मेरी यह कहानी समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 12224 0 Hindi :: हिंदी
बहुत पहले की यह बात है। एक भिखारी था। दिन भर वह चल_चल कर भीख मांगा करता था। एक दिन कुछ अजीब सी घटना घटी। दोपहर के समय में वह किसी धूल भरी सड़क से गुजर रहा था। जाते_जाते वह बहुत थक गया था। आगे जाकर उसे एक बहुत बड़ा पेड़ सड़क किनारे मिला।वहीं वह भिखारी बैठ कर आराम करने लगा था। संयोग बस उसी सड़क से एक प्रकांड विद्वान ज्योतिष भी कहीं जा रहे थे। उनकी निगाह उस भिखारी के खाली पांव के द्वारा बनाया गया निशान पर पड़ा। उस निशान को देखकर ज्योतिष जी काफी हैरत में आ गए। और सोचने पर मजबूर हो गए। कारण यह था की पांव में जो रेखा थी वह बता रही थी की यह पांव किसी साधारण व्यक्ति का नहीं है। लेकिन सवाल यहां पर यह खड़ा हो गया कि फिर वह व्यक्ति कौन है जो नंगे पांव गुजर रहा है। और किस कारण से वह नंगा पांव गुजर रहा है। यह सब सवाल ज्योतिष जी के मन में चलने लगा। और ज्योतिष जी यह सब सोचते हुए आगे बढ़ते भी जा रहे थे।फिर वह वक्त भी आ गया जब वास्तविक पांव फैलाए एक व्यक्ति भिखारी के भेष में पेड़ की नीचे आराम कर रहा था। ज्योतिष जी सड़क पड़े पांव के निशान में जो रेखा थी तथा उस भिखारी के पांव में जो रेखा थी, दोनों को मिलाए तो दोनों पांव में एक समान रेखा थी। उसके आगे सड़क पर खाली पांव का निशान भी नहीं था। इन सब बातों को देखते हुए ज्योतिष को यह समझते देर न लगा कि सड़क पड़े पांव का निशान इसी भिखारी का है। अब ज्योतिष जी यह सोचने लगे की रेखा तो यह बता रही है कि ऐसे रेखा वाले व्यक्ति बड़ा ही धन _दौलत और रुतबा वाला होता है। फिर क्या वजह है कि यह व्यक्ति भिखारी बना हुआ है? यह सवाल ज्योतिष जी खुद से किए। तो पता चला कि यह एक दोष को पाल रखा है जिसके कारण से यह आगे नहीं बढ़ कर भिखारी बना हुआ है। कारण यह था की सोते वक्त वह भिखारी पांव पर पांव रखकर ही सोता रहता था। जिसके कारण से दोष उत्पन्न हो रहा था एवं भिखारी का उत्थान नहीं हो रहा था। अब ज्योतिष जी सोचने लगे की यह तो इसकी आदत बन गई है। ऐसे समझाने से यह आदत जाने वाली नहीं है। ज्योतिष जी अपने थैला में चाकू भी रखते थे, उन्होंने वह चाकू निकाल कर भिखारी के पांव पर जबरदस्त प्रहार कर दिए। भिखारी लगा चिल्लाने उसकी नींद टूट गई। फिर ज्योतिष जी ही भिखारी के उस जख्म पर मरहम पट्टी भी कर दिए। और ज्योतिष जी चुपचाप आगे बढ़ गए। जहां जा रहे थे उसी और बढ़ने लगे। अब भिखारी को तो जख्म हो गया। अब वह पांव पर पांव रखकर नहीं सो सकता था। सात_आठ दिन वह जख्म के कारण पांव पर पांव रखकर नहीं सोया। परिणाम बहुत ही सुंदर सामने आया। वो भिखारी उसी तरह भीख मांगता रहा एवम् भीख मांगते_मांगते एक राजा के दरबार में जा पहुंचा। दरबार में राजा ने स्वयंवर रचा रखे थे। जहां दूर _दूर के राजाओं का आना हुआ था। वह भिखारी भी उस स्वयंवर में जा बैठा। राजा की लड़की हाथ में वरमाला लेकर चल रही थी सभी राजाओं को देखते हुए।लेकिन उसे कोई भी राजा पसंद नहीं आ रहा था। अंत में लड़की भिखारी के पास पहुंची और वरमाला भिखारी के गले में डाल दी। फिर भरी दरबार में यह घोषणा किया गया कि भिखारी और राजा की लड़की अब दोनों एक बंधन में बंध गए एवम् पति_पत्नी के रूप में एक दूसरे को स्वीकार किया है। यह सब देख कर सभी राजा निराश हो अपने_अपने राज्य को आ गए। भिखारी को तुरंत राजा ने राजकुमार बना दिए। और राजपाट सब बेटी तथा भिखारी से बने दामाद को दे दिए। और राजा_रानी खुद तीर्थाटन के लिए निकल पड़े। इस तरह एक भिखारी, भिखारी से राजा बन गए। (इसलिए कब किसका भाग्य बदल जाए यह कोई नहीं जानता।) (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....