Archana Singh 16 May 2023 कहानियाँ बाल-साहित्य 5925 0 Hindi :: हिंदी
नमस्ते दोस्तों 🙏🙏 दोस्तों ! मैंने आज की कहानी का शीर्षक रखा है ...." पढ़ने वाली कुर्सी "! पलक का आज बर्थडे था । वो सुबह से तैयार थी । अपने मम्मी-पापा के साथ मंदिर गई , पूजा - अर्चना की , फिर घर में उदास होकर बैठ गई । उसकी मम्मी घर में ही ढेर सारी रेसिपी बनाई थी । यहां तक कि उसके आस -पास के सारे दोस्तों को भी बुलाया और सब को खाना भी खिलाया था । बच्चे आपस में खूब मौज - मस्ती भी किए , पर उनके चले जाने के बाद पलक फिर से उदास होकर बैठ गई । संध्या पलक की मां जानती थी कि पलक आज क्यों उदास है ..... क्योंकि उसने अपने सभी दोस्तों के घर में पढ़ने वाली कुर्सी टेबल देखी थी और इस बार पलक भी ज़िद्द पर अड़ गई कि " मुझे भी बर्थडे में वही पढ़ने वाली कुर्सी - टेबल चाहिए ..... पर मार्च के महीने में इतना खर्चा करना पलक के पापा के जेब को गवारा नहीं था । उन्होंने उसे दो - चार महीने बाद खरीदने का वादा किया , पर पलक तो बची थी और बच्चे के मन में जब किसी चीज को पा लेने की इच्छा हो , तो जब तक उसे वो चीज मिल ना जाए , वो नहीं मानते हैं । रात के 8:00 बजे । पलक उदास सी अपने कमरे में जाकर लेट गई तभी उसके पापा ने आवाज देकर उसे बुलाया और उसके पापा ने उसे एक सरप्राइज गिफ्ट दिया । पलक खुशी से चौंककर अपने दोनों हाथ मुंह पर रख ली ..... और अनायास ही खुशी से उसके मुंह से निकला .... " वा...वो... वह था पिंक कलर का येलो बेल वाला उसका प्यारा सा पढ़ने वाला कुर्सी टेबल , जिसे देखकर वो जोर से ताली बजाते हुए उछल पड़ी .....क्योंकि सच में उसके मम्मी - पापा ने उसे उसकी पसंद की पढ़ने वाली कुर्सी - टेबल दी थी , जो कि उसके सभी दोस्तों के पास था । वो खुशी से बोलने लगी :" कल मैं भी अपने सभी दोस्तों को बुलाकर ये गिफ्ट दिखाऊंगी " । उसके चेहरे की खुशी देखकर पलक के मम्मी - पापा भी अंदर से बहुत खुश हुए .... क्योंकि मां-बाप की असली खुशी तो उनके बच्चों की खुशी में होती है । तो दोस्तों ! छोटी-छोटी चीजें बड़ों से ज्यादा बच्चों के लिए मायने रखती है और बच्चों की खुशी के लिए मां-बाप कुछ भी कर सकते हैं । धन्यवाद दोस्तों 🙏🙏💐💐