आकाश अगम 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य #कविता #अभी जाना है कितनी दूर #आकाश अगम #प्रेरणादायक कविता 50452 0 Hindi :: हिंदी
अभी जाना है कितनी दूर। अभी तो छोड़ेंगे घर द्वार बने फुटपाथों पर परिवार करें संतुष्ट हृदय को हाय दूर से ही रोटियाँ निहार कई सारी हो जायें भूल कई पैरों में छिदें बबूल मग़र काँटों को देंगे तोड़ भरेंगे आत्मशक्ति भरपूर अभी जाना है कितनी दूर। सहेंगे जग का दुख औ ताप न बनने देंगे हम अभिशाप किया पैदा उसमें संतुष्ट कार्य से मिलता अपने आप नहीं बनना है हमको धूल बहेंगे धारा के प्रतिकूल नहीं छोड़ेंगे अपना पंथ अगर मिल जायें पथ में क्रूर अभी जाना है कितनी दूर। लगानी नभ से स्वप्न पतंग उड़ेंगे जैसे उड़े विहंग जगत का तोड़ेंगे हम छंद चढ़ायें ख़ुद पर अपना रंग उड़ेंगे नहीं जलद के भाँति किसी का छीनें नहीं प्रभात मग़र फिर भी करनी बरसात सभी पर है बरसाना नूर अभी जाना है कितनी दूर।