राहुल गर्ग 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत 41143 0 Hindi :: हिंदी
सीधा सादा जीवन मेरा, मछली जैसे रहती थी| बिन ख्वाबों की आखों का मै, बोझ हमेशा सहती थी| माँ बाप की बगिया का, कभी फूल न बन पाई| बहुत सहेजा बहुत सँवारा, मै कली कभी न खिल पाई| चाह नहीं थी अम्बर की तब, पानी में ही रहती थी| सीधा सादा जीवन मेरा, मछली जैसे रहती थी|| फिर आया एक नया सवेरा मुझे किसी ने जगा दिया थोड़ा उठती फिर सो जाती लगा किसी ने सता दिया पलकें मेरी मुझसे कहतीं मुझको ऊपर उठने दो नई सुबह की आखों में तुम नया ख्वाब अब बसने दो बिस्तर पर ही रहकर मै आँखे अपनी मलती थी सीधा सादा जीवन मेरा मछली जैसे रहती थी दिन ही मेरा बदल गया सुबह सुहानी हो गई आखों में उसकी ही यादें सारी बातें अब खो गई वो जिससे की थी बातें जब मैंने कल रात को लगता है कि दिल अब मेरा तरस रहा उस साथ को नहीं रहेंगी अब शामें वैसी जैसे पहले ढलतीं थी सीधा सादा जीवन मेरा मछली जैसे रहती थी ये जो खिला सा चेहरा है अब असर है उसकी बातों को पागल सी कर देती मुझको जैसे मेढ़क हो बरसातों का आँखे तकती सुईयो को अब घड़ी के अंदर है जो चलती कोई उनसे जाकर पूछें नहीं क्यों वो समय पर चलती जैसा है अब उसका इंतजार कभी किसी का न करती थी सीधा सादा जीवन मेरा मछली जैसे रहती थी न जाने अब होगा क्या नहीं सोचती ज्यादा मै अब दिन रात उसकी ही यादें उसी के ख्वाबों में रहती हूँ अब जोड़ रहीं हूँ नया पाठ मै हर रोज अपनी किताबों में इकरार की लाईन को उसके ढूंढ रहीं हूँ जवाबों में आशा है कि इक दिन वो सारे बंधन तोड़ेगा मुझे प्यार देने की खातिर नाता मुझ संग जोड़ेगा नहीं मिला गर साथ मुझे तो उसके बिना भी जी लेती थी सीधा सादा जीवन मेरा मछली जैसे रहती थी बिन ख्वाबों की आखों का मैं बोझ हमेशा सहती थी