REETA KUSHWAHA 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य अपने घर से अच्छा कोई घर नही होता है 89111 0 Hindi :: हिंदी
अपने घर से अच्छा कोई घर नही होता बाहर निकल कर देखा, कहीं सुकु नही होता नज़ारे हजारों रौशन है इस दुनिया जहां में इन नजारों से जिंदगी कट जाए,मुमकिन नही होता इंसा कितने ही शरत तरंगों से अठखेलियां कर लें कितने ही ऊंचे-ऊंचे हिमपर्वतो पर मस्तियां कर ले कितने ही रंगभरे उपवनों में,महक भर विश्राम कर ले उगते रवि के साथ चाहे,कलरव करते पक्षियों को सुन ले पर इक दिन उसको अपना घर याद आता है काश !इन खूबसूरत नजारों के बीच ही,घर होता उसका अपना ऐसा स्वप्न सजाता है क्योंकि.... अपने घर से अच्छा कोई घर नही होता है। ✍️ रीता कुशवाहा