Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य अतीत 4841 0 Hindi :: हिंदी
अतीत की उत्कृष्ट मसला पुराने घाव खुरदने लगे कुछ वादों की झलकियाँ हर छण याद दिलाने लगी काली साये में लिपटा अतीत के आधा अधूरा सच डायन बनके आज को पल पल को खाने लगी हैं डर में पल रहा आज और कल का भविस्य अभी अभी तो उभरे थे बक्त के अज्ञात जख्म से अदृस साया न जाने क्यों फिर से भैभीत करने लगी अतीत बनके बर्तमान बक्त बे बक्त हर बक्त मुझे थोड़ा थोड़ा निगलने लगी कई रात गुजर गई सोया नहीं कभी हकीकत तो कभी सपना बनके अक्सर डराती हैं अतीत रूपी डायन मैं भुलाना चाहता हूँ उस छान को उस अज्ञानी पल को जो आज भी चुडैल बन मुझे खाने लगी