VIVEK KUMAR PANDEY 09 Aug 2024 कविताएँ दुःखद 7413 0 Hindi :: हिंदी
ग़र मेरा प्यार है तुम्हारे गमों का कारण। मेरे अपनेपन से पहुंचता है तुम्हें असीम दुखः। मेरी ये बेबस आँखे ले आती है तुम्हारे आखों में आँसू। मेरी याद गर तुम्हें कर देती है उदास और जगा देती है दर्द। तो फिर....... नहीं है स्वीकार मुझे भी तुम्हारी उदास आँखे। सिर्फ स्वीकार है मुझे खुद ही तिरोहित होना। फिर से टूटना। क्योंकि.......... मेरी ये बेबस आँखे नहीं कर सकती पूर्ण तुम्हारी अभिलाषाओं को। न मैं तुम्हें चाँद दे सकता हूँ न चाँदनी, न आकाश दे सकता हूँ, ना ही सितारे....। क्योंकि मेरे रेगिस्तानी जीवन में है सिर्फ दुख ही दुख। वो भी असीम, मुझे अफसोस है_आत्मग्लानि है। मैं न तो तुम्हें सुख दे पाया न ही आनन्द। न तृप्ति दे सका न ही जीवन। न संगीत दे सका तुम्हारी सांसो को न ही संपूर्ण प्यार तुम्हें। तो फिर- मेरा ये लाचार जीवन है कितना व्यर्थ, निरर्थक और बेजार.. इसी लिये कर रहा हूँ मै... सिर्फ मौत का इंतजार ..।