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दिव्य प्रकृति

Bhagyashree Singh 11 Apr 2023 कविताएँ अन्य # दिव्य प्रकृति #प्रकृति प्रेम #लेखन शैली #प्रारम्भिक काव्य लेखन #लाइक #शेयर 9989 0 Hindi :: हिंदी

दिव्य प्रकृति

देख दिव्य प्रकृति आज मेरी,
सभी अंतः कोप से मुक्त हुई,
लिए निस्वार्थता का ध्येय परम,
जन जन के लिए प्रयुक्त हुई l
पर्वत, झरने, सुंदर उपवन,
भूषण से युक्त तेरी काया,
सतरंगी सुमन सी देती महक,
अद्भुत तेरी प्रेममयी माया,
हो जगमग सूर्य की आभा से,
सारे अंधकार से विमुक्त हुई,
देख दिव्य प्रकृति आज मेरी,
सभी अंतः कोप से मुक्त हुई ।
सहकर सब संयम रखकर भी,
नित हम पर प्यार लुटाती है,
क्षण क्षण अपना न्योछावर कर,
बिन मांगे सब दे जाती है,
निश्छल मन की तेरी काया,
अद्भुत तेरी प्रेममयी माया,
नित मौन सभी धारण करके,
मानुष प्रगति में प्रयुक्त हुई,
देख दिव्य प्रकृति आज मेरी,
सभी अंतः कोप से मुक्त हुई ।

                                   मेरी कलम से
                                भाग्यश्री सिंह 🖊️

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