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जी लेना तुम-लोग मिलते हैं बिछड़ जाते हैं

Rupesh Singh Lostom 07 Sep 2023 कविताएँ अन्य जी लेना तुम 10311 0 Hindi :: हिंदी

जी लेना तुम 

लोग मिलते हैं बिछड़ जाते हैं 
पर उन खट्टी मीठी यादों को 
संजोय लेना तुम 
लोग अक्सर भूल जाते हैं 
मगर उस लम्हों को जी भर के 
जी लेना तुम 
गम मत करना मेरे जाने का 
बस साथ बिताये पलों को 
समेट लेना तुम 
ये समा कभी भी बुझ सकती हैं 
लेकिन इसे अपने सिने में 
जलाये रखना तुम 
दूर बहुत हैं पनघट की सफर 
रुकना मत कही हार के बस राह पे 
डिगे रहना तुम

अँधियाँ अभी अभी उभरी हैं फलक पे 
की आशमा में अभी अफ़साने और बनेगें 
कब तक अम्बर रोक पायेगा वज्रपात 
बनके कहर आश्मान अभी और वरसेंगें 
कब तक चीखेगा चिलायेगा आदमी 
की आदमी के हौशले अभी और टूटेंगे 
नदिया अभी और उफनेगी सैलाब बनके 
की शहर के शहर अभी और डूबेंगे 
अभी तो काल का सवेरा हुआ हैं 
की अभी तो पूरा के पूरा विनाश बाकि हैं

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