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झूठ-मूठ का झुनझुना

Santosh kumar koli ' अकेला' 09 Aug 2024 कविताएँ समाजिक झूठ -मूठ का झुनझुना 7621 0 Hindi :: हिंदी

मैं ये कर देता, वो कर देता, 
है सफेद झूठ। 
पीना पड़ेगा कड़वा,
पर सच्चा घूंट। 
अवसर, मौके़, सुविधाओं का, 
रोना झूठ- मूठ। 
दीवार को ही पुल बनाओ, 
मेहनत करो अटूट। 
आज तू जहाँ, जैसाहै, 
है उसी के लायक़। 
तेरी औका़त का तुझे, 
मिल चुका पूरा हक़। 
बाक़ी कहना, सुनना तेरे, 
खोखलेपन का परिचायक। 
तर्ज़न -गर्जन छोड़ दे, 
हे निरंक आनक। 
मैं ऐसा करता, वैसा करता, 
कहते- कहते मर गए। 
न कहे, न सुने, 
करने वाले कर गए। 
नदी किनारे बैठ लहरों से, 
डरने वाले डर गए। 
हौसलों से कर कोशिश, 
उतरने वाले पार उतर गए।

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