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खुद से रूबरू होने का आगाज-हवाएं भी बेरुखी सी थी

Meenakshi Tyagi 12 Jul 2023 कविताएँ समाजिक Shivani 9778 1 5 Hindi :: हिंदी

हवाएं भी बेरुखी सी थी और मौसम भी नाराज था
लग रहा था कि जैसे ये
 मेरी तबाही का साज था
पर एक बादल घुमड़ कर ऐसा बरसा मुझ पर
कि मैने जाना ये तो मेरा खुद से रूबरू होने का आगाज था।।

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SHAHWAJ KHAN
SHAHWAJ KHAN Bahut saandaar

10 months ago

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