आकाश अगम 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य #माँ #maa #ममता #माँ पर कविता #माँ का प्यार #maa ka pya #love of mother #माँ का दिल #heart of mother #आकाश अगम #Akash Agam 55531 0 Hindi :: हिंदी
हमें सुलाये सूखे में ख़ुद गीले में सो जाती है मेरे पालन में वो नारी कितने कष्ट उठाती है मेरा होय अनिष्ट कल्पना करते ही घबराती है ईश्वर से बड़ कर वो अबला मेरी माँ कहलाती है।। पता चला जब उसे कि रौशन करने वाला वंश बना पता चला जब उसे गर्व में उसका ही इक अंश बना कौन समझ सकता है माँ के मन में ख़ुशियाँ तब बहतीं पुत्र प्रेम में नौ मासों की पीड़ा को हँस कर सहती।। लात गर्व में मारी कैसे कष्ट सहन कर पाया है तू सुन पाये ना सुन पाये तुझसे पर बतलाया है इतना कष्ट सहन करती है फिर भी तो अपनाया है पैदा होते ही ममता से माँ ने गले लगाया है।। पेट भरे वह मेरा पहले स्वयं बाद में खाती है मातृधर्म के कर्म हृदय से सभी निभाती जाती है जिन संतानों से बढ़ कर वह अपनी आस लगाती है हाय उन्हीं आँखों के तारों से ज़्यादा दुख पाती है।। कपड़े धोती, खाना देती क्या क्या नहीं किया उसने ताने सुनती अंदर अंदर कितना ज़हर पिया उसने एक बार तो दिल से सोचो क्या आघात किया उसने तेरे कटु वचनों के बदले आशीर्वाद दिया उसने।। सब कुछ पा लेता है वो जिसने माँ का सुख पाया है संकट आ ना सकता उस पर जिस पर माँ का साया है और किसी खलनायक से डरना मत , माँ से पर डरना चाहे करो न करो और कुछ पर माँ की सेवा करना।।