Amit Kumar prasad 09 Sep 2024 कविताएँ समाजिक 💻.......Landing the purpose of it's Poesy and during this poem has been said vital to desire.Because need grows desire of work and, In this Parnassus reflects a inspiration of certitude.Who gives dare of dishearten.And speaking of words," A conscious effort has been made to make the sentence attractive as well as a reflection of courage through the uniqueness of trappings." And meaning of the Verse's words are like thisLanding the purpose of it's Poesy and during this poem has been said vital to desire.Because need grows desire of work and, In this Parnassus reflects a inspiration of certitude.Who gives dare of dishearten.And speaking of words," A conscious effort has been made to make the sentence attractive as well as a reflection of courage through the uniqueness of trappings." And meaning of the Verse's words are like this....🖨....&.... 📂.....सुर्यवान : किरणों में लिप्टा / चन्द्रमा : शशी, नक्षत्र / रज़नी : रात्त, नीशा, शर्वरी / ऊन्म्त : ऊन्नत्त / लुप्त : छुपा / व्योम : आकाश / भ्रम : छल / श्रेष्ठ : सबसे ऊत्तम होना / सूर्य : आदित्य, रवी / वर्णं : वर्ग, जात्ती / रथी : स्वार रहने वाला, स्वार / ऊद्धर्ण : निष्कर्ष, हवाला / आवर्ण : परदा / लघु : छोटा / अभिन्नदन : स्वागत्त/ अभिवादन : शुभकामना/ भवत्ती : भगवत्ती, देवी / भव : भूमी / ऊत्कंठा : सोंच / श्रम : परिश्रम, मेहनत्त / अन्त्त : अन्दर त्तक / विरल : छिन्न - भीन्न / वरण : चुनना / ईन्द्राएं : ज्ञान कि कोशीका। Also, the meaning of word "Advent" in this poesy is to bring the concept of positive welfare and perspectival thought into life or to bring it down.Or it is the " Descends " of positive thinking in which heroism is inherent.Just as the existence of rain water is to be contained in droplets and to flow due to the union of droplets, In fact, The main feature of this poesy is that, It shows the strength in unity as much as possible. Through which an attempt has been made to make the structure of the poem presumable. With all the above references, I would like to pause my words and say that," The Nation belongs to everyone and not to any one person," Keep your love and affection intact......&.....Jai Hind......&.......🖱 6814 0 Hindi :: हिंदी
नर हो! न, निराश रहो, मन से, ईक नया सबेरा आएगा! सृष्टी को दिप्त्त कर सूर्यवान, हर अंधकार मिट जाएगा!! त्तप्त्ति राहें संघर्षों किं, है! प्रभा ने अपना ज़ोर दिया! ज्यों अंधकार मे द्विप जली, विकाश किरण हर ओर किया!! राहें प्रभाश, कल्याण चरण, दिन - रात्त एक ही गाथा है! नर हे! न निराश रहे, मन से, ईक नया सबेरा लात्ता है!! शशी धरे चान्दनी रात्तों में, रज़नी का हो संचार प्रबल! मध्य, अंधकार चन्दा कि प्रभा, वशुधा ऊन्म्त्त कर ज़ात्ता है!! सूर्य प्रभा से खिले सबेरा, चन्दा ने रज़नी लुप्त्त किया! टिम - टिमिर - टिमिर - टिम - टिम करत्ते, त्तारों ने व्योम से मार्ग दिया!! यह अंधकार कुछ भी है! नहीं, पथ राह भ्रमों का बन्धन है! पथ श्रेष्ठ विफ़ल प्रयास अत्थक, हर एक से वशुधा ऊन्म्त्त है!! एक - एक कर कण - कण को, रवी कि किरणो ने दिप्त्त किया! कण धार व्योम पथ चन्द्र किरण, अंधियारों में भी राह दिया!! फ़िर ज़गी चेत्तना त्तारों कि, सित्तारें आभा से दुर रहे! कण त्ताल - मेल निज़ वर्णों से, अंधियारों में भी कर्म किया! युं हीं न रथी बनात्ते है, चन्द्र किरण लुप्त्त हो ज़ात्ते हैं! ज़ब त्ताल - मेल निज़ वर्णों संग, रज़नी में व्योम सज़ ज़ात्तें हैं!! सज़्ज़ित्त श्रृंगार ऊद्धर्णों का, सम्मान समां आवर्णों का! ईक लघु आश - प्रकाश लिए, अभिन्नदन मार्ग दिखात्तें हैं!! कर्मों से सिंचीत्त अमुल्य धरा, अभीवादन से अभीन्नदन पथ! कुछ कर अर्ज़ित्त सम्धार विल्य, निष्ठा कि ज्योत्त ज़लात्तें हैं!! ईन्द्राएं निंद्रा त्याग चली, पथ, चन्द्र ज्योत्त कि धारों में! आदित्य ज्योत्त कि धुंध मची, भवत्ती के परम भव गारों में!! आत्तें नहीं, युं हीं हैं, सवेरें, लात्ते विकाश पथ वक्त्त अचल! रज़नी में सित्तारें आश भरें, निज़ चाहों कि ऊत्कंठा धर!! ऊदय प्रत्ता: अधिन्स्त्त शाम, अरुणोदय प्रभा ज़गात्ता है! कर विल्य अंधेरा राह वरण, ऊठत्ता है, चन्द्र ढल ज़ात्ता हैं!! आस्त्तित्व वरण पथ व्योम ऊठे, आभा विलुप्त्त पथ चन्द्र किरण! ज्यों बुन्दों का आस्त्तित्व नहीं, सागर में नीर समात्ता हैं!! है! अत्थक श्रम कि चाह नहीं, त्तारों कि रांह कल्याणों में! कल्याण के पथ, कल्याण प्रम, टुटे पर मार्ग दिखात्ता है!! है! नहीं सबेरा लाया है, और नहीं रात्त को दिप्त्त करे! है! चन्द्र समुख आकार त्तनिक, फ़िर भी आशा प्रदिप्त्त करे!! और लिप्त्त - त्तृप्त्त रहत्ती हैं, चान्दनी, संज़ोग - सम्न्वित्त त्तारों से! ऊठत्ती है, आश - प्रभाश लिए, वन्दित्त विकाश है, सित्तारों से!! हर एक कि वन्दित्त भूमी है, शशी, सुर्य, नक्षत्र कि धुनी है! कल्याण प्रत्ता:, रज़नी विकाश, अवकाश श्रम में डुबी है!! दिन - रात्त अचल प्रयास सज़ग, प्रगत्ती तत्व का ज्ञान धरे! पथ दर्षण कलम कि दुरदर्षित्ता, पथ मानवता संचार करे!! कि....कि. कि. कि. कि. कि. कि. कि. कि...??? शशी, सुर्य, नक्षत्र स्म ज्ञान रहो, कल्याण के पथ सम्मान रहो! और ऊठों थामने चाहों को, आशाओं के अरमान रहों!! राहें विकाश पथ धर्णों के, अवत्तार कर्म कि गाथा हैं! अवत्तरण विकाश पथ अंधकार, शशी, सुर्य, नक्षत्र ज्यों आत्ता है!! है! विविध कला और ज्ञान विधित्त, राहें विकाश पथ लात्ता है! संचार मान - सम्मान के पथ, अवत्तरण ज्ञान हो जात्ता है!! अपना है, सुबह; अपनी है, शाम, अधिकार श्रम दिलवाएगा! नर हो..न निराश रहो, मन से, ईक नया सबेरा आएगा!! घनघोर घटा बादल काले, आन्धी के बीच हरियाली है! गर है! त्तुफ़ान निज़ मार्ग निरत्त, वृक्ष कहां.. हारने वाली है!! ज़ड़ को कर चेत्तन वृहद अन्त्त:, वशुधा को हरित्त बनात्ता है! संचार भू - लोक अन्त्तस्थल पर, निज़ गौरव स्वप्न लहरात्ता है!! पद एक नहीं, हद से बेहद, चल अचल चाल कि निष्ठा से! निज़ शिष्टा का ईत्तिहास बने, या वक्त्त वो अपना लात्ता है!! हैं! ऊदय प्रत्ता: और अस्त्त शर्वरी, स्म चाह - राह का मार्ग विरल! हैं! नीशा चान्दनी, भोर ऊदित्त, ऊम्मिदों को दर्षात्ता है!! ज़ब वक्त चाह नीज़ राह ऊदय, निष्ठा को अटल बनाएगा! सृष्टी को दिप्त्त कर सूर्यवान, हर अंधकार मिट जाएगा!! ऊम्मिदें प्रबल, आशा कि चेत्तना, राष्ट्र का भू पर भार धरे! है! अलग राह पर कर्म एक, हर! नुत्तन - नुत्तन किरदार धरे!! चल! वक्त्त के संग, धर थाम ज्योत्त, हर अंधियारा मिट जाएगा! प्रकाश विलिन - त्त्लिन शीख, राहों में वक्त मिल जाएगा!! ये वक्त ही है, ज़िसने कि, सुबह को, कर्म प्रभा का नाम दिया! रज़नी में करे प्रस्त्त मार्ग, संघर्षों को अविराम दिया!! अविराम ज्ञान पथ करे वरण, आशाएं शीखर हिलाएगा! न रहो! न निराश रहो, मन से, फ़िर, अपना वक्त भी आएगा!! Literator : Amit Kumar Prasad......... ✍️ साहित्यकार : अमित्त कुमार प्रशाद.......🙏 সাহিত্যিক : অমিত কুমার প্রশাদ............✍️
My Self Amit Kumar Prasad S/O - Kishor Prasad D/O/B - 10-01-1996 Education - Madhyamik, H. S, B. ...