आकाश अगम 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #Dhoop #धूप #सामाजिक समस्यायें #ग़रीबों की स्थिति #आकाश 'अगम' #Akash Agam #हिंदी कविता #मुक्तछंद की कविता 53308 0 Hindi :: हिंदी
आज दिन में धूप थी कुछ तेज ज़्यादा क्यों ? कदाचित... धूप के ये सूक्ष्म कण मानों पसीने के कणों से मिल बने कुछ खेत में, कुछ कारखानों में तथा कुछ अन्य स्थानों पर लगे हैं श्रमिक दिन रात में अंतर नहीं हैं जानते उनका पसीना धूप देता है शहर को सुखाते हैं सभी कपड़े , बनाते हैं सभी बिजली बहुत उपयोग करते हैं सभी किन्तु श्रमिकों को नहीं है लाभ उनके पसीने से बनी यह धूप उनको ही जलाती है वह बढ़ती जाती है जलाती जाती है क्रमशः.........।