Shubhashini singh 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य Google /Yahoo/Bing /instagram/Facebook/twitter 26911 0 Hindi :: हिंदी
रहे आसमान में उड़ते मगर कभी किसी को दुख न दिया हां जमी पर आते ही लोग मुझे पिजरे में कैद कर देते है उस चार दिवारी में कैद कर देते है सोभा बढ़ते अपने घर की हमसे हमारी आजादी छीन लेते है ए खुदा ये कैसा इंसाफ है तेरा जो हमें दुख देकर वो चैन कि नीद सो रहा ये कैसा इंसाफ है तेरा जो किसी का बुरा ना चाहे वो कटघरे में और जिसने बुरा किया वो आजाद घूम रहा....