Vikas Yadav 'UTSAH' 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक विकास यादव उत्साह कविता, विकास यादव कविता, दुनिया न्यारी है कविता विकास यादव, उत्साह कविता, साहित्य लाइव 10430 0 Hindi :: हिंदी
शीर्षक -दुनिया न्यारी है ना बांटो गम मेरा दुःख ना होगा कम मेरा, दुःख में मेरे ना सहेमना सुख में मेरे डट के रहेना। जब सांस थी तो हाथ न था किसी का उठाने को, आज सांस नहीं तो मेले है, सैकड़ों का मुझे जगाने को। इसे तुम ना समझोगे यारे, दुनिया बड़ी न्यारी है प्यारे। यहां पत्थर की मूरत को बाजार से लाया जाता, और घर में पड़े देवता को वृद्धाश्रम भगाया जाता। यहां धर्म - जाति के चक्कर में इंसान को लड़ाया जाता, बेजुबां तो कुछ ना कहेते उन्हें विषय बनाया जाता । यहां लड़ाने वाले गद्दी पे और दुनिया बिक रही रद्दी में। इसे तुम ना समझोगे यारे, दुनिया बड़ी न्यारी है प्यारे। काव्य - विकास यादव "उत्साह" हैदरगंज,गाजीपुर (उत्तर प्रदेश)