Rupesh Singh Lostom 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य तलाश 6813 0 Hindi :: हिंदी
तलाश कुछ बक्त गुजर गए खुद को जानने में कुछ समय निकल गए गलतियों को मानने में और कुछ बक्त गुजर गए खुद को तराशने में और जो बाकि बचा निकल गए स्वयं को जानने में उधार के जिंदगी से गुजारा होता हैं डर के साये में गुजरती हैं जिंदगी क्या पता कल जीवन साथ छोड़ दे बस इसी खौफ में पलती हैं जिंदगी उम्र के जब आखरी पड़ाव होगा क्या ले के जाऊंगा सोचता हूँ जीवन गुजर गए पैसा कमाने और दौलत के पीछे भागने में क्या बताऊंगा यम को जब लेकर बैठेगा कर्मों का हिसाब