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Shreyansh kumar jain

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अपना रूप हमेशा दिखाती है प्रकृती, कभी धूप तो कभी छाँव का अहसास कराती है प्रकृति, हर मौसम में भी जीवन जीना सिखाती है प्रकृति, हमारी भूख- read more >>
युवाओं की भीड हूँ मैं, पश्चिमी संस्कृति का शोर हूँ मैं प्रदूषण का कहर हूँ मैं, शहर हूँ मैं । भीड़- भाड से भरा हूँ मैं, शुद्धता से मरा हूँ read more >>
कितना सुन्दर तुम दिखती हो, कैसे बताऊँ मै तुमको की तुम हमेशा मेरे दिल में रहती हो, तुम्हारी प्यारी आंखों को मे जब छूपके से पढ लेता हूँ, अ read more >>
वह कितनी सुन्दर प्यारी है वो लडकी घर की किलकारि है, कितने इंजाम वो सहति है जन्म से पहले भी वह गर्भ में मारी जाती हैं, जन्म के बाद भी कम नह read more >>
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