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संदीप कुमार सिंह

संदीप कुमार सिंह

संदीप कुमार सिंह

@ sandeep-kumar-singh
, Bihar

I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me.

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मरता क्या नहीं है करता, जिन्दगी है यह इसके रूप अनेक। किसी पर कब हो जाए मेहरबान, किसी पर कब हो जाए नाराज। जीवन भर लेती रहती कठि read more >>
दोहा छंद परिवर्तन संसार का, सुनो नियम है पार्थ। खाली हाथ आए यहां, जाना खाली हाथ।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह ✍️ जिला;'समस्तीपुर( read more >>
मुक्तक छंद मेरे अपने लोग सब, काफी हैं मजबूत। मेरे आते काम में, दौलत जिसे अकूत। इसका मुझे गुमान है,मन भी है गुलजार- आस रखा हूं और read more >>
दोहा छंद मेरे अपने लोग अब, रहते हमसे दूर। कल तक थे साथ में, आज हुए मगरूर।। मेरे अपने लोग ही, हुए बेवफा आज। थे मेरे अहसान पर, अभी ह read more >>
कुंडलिया छंद चोखा एक मिसाल बन, बने देश गुलजार। अमर रहेगा नाम तब, सीरत में हो प्यार।। सीरत में हो प्यार,नेह का होगा दुनिया। शर्म करे तब read more >>
सदा विजय ही तब मिले,जब हो पास सुनीति। सभी शत्रु पर राज हो, यही सनातन रीति।। पग पग पर खतरा मिले, रहिए मनुज सचेत। मिले विजय read more >>

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