कुछ टूट गया, कुछ फूट गया।
माटी का ,खिलौना रूठ गया।।
तन लूट रहा, मन मौन रहा।
छाती से वजन, सा छूट गया।।
न राम मिला ,न श्याम मिला ।
न जाने मैं read more >>
----: मोहब्बत का आशियाना :---------
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तुम बिन प्रीतम आती , मुझे कहीं नींद नहीं
रात को जागू दिन को जागू, जागू दिन और रात
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